रोज सुबेर दूर अगास मा,
जब बि सूरज आन्द
अपणु काम तैं बगत फर कैरा,
हमतैं ऐकि सिखान्द
नीन्द से जागा,अळगस त्यागा,
हमतैं ऐकि उठान्द
अळगस करदरौं कि जिन्दगी
कबि सुखी नि रान्द
कार-काज मा वूंका
सदिन विघ्न औणी रान्द
इलैइ दगड़यों कबि बि हमतैं
अळगस नि करण चैन्द
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