अगर जु फौंकुड़ मिमा हूंदा
फुर्र कै मि उड़ि जान्दू
प्वतळयूं अर चखल्यूं का दगड़म
दूर घूमिकी ऐ जान्दू।
हिंवळि कांठ्यूं म जैकि सुबेर
चमकदू घाम द्यख्दू
डाळयूं म गीत गान्दि चखल्यूं का
दगड़म ढौलेर बणदू
रात अगास मा जैकि
चन्दा मामा थै मिली आन्दू
भला-भला गैणौं की फन्ची
बणैंकी अपणा दगड़म ल्यांदू
प्वतळयूं गैल कबि मि सौदा
फूलूंम बैठयूं रान्दू
म्वार्यूं का दगड़ा रूणाट कैरिकि
मिठ्ठू रस पेक आन्दू
रोज सुबेर स्कूल बि मि
फुर्र-फुर्र उड़िक जान्दू
छुट्टी का बाद घौर बि फुर्र
उड़िक ई मि आन्दू
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